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Jan 23, 2018

भारतीय महिलाओ को इन कानूनी अधिकारो का जरूर पता होना चाहिए

भारतीय महिलाओ को इन कानूनी अधिकारो का जरूर पता होना चाहिए
भारत में नारी को विशेष सम्मान दिया जाता है | हमारे संविधान में स्त्री और पुरुष दोनों को सामान अधिकार दिए गए है | आज महिलाएं भी पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं और अपने करियर को लेकर गंभीर हैं | महिलाओं की आबादी करीब 48 फीसद है, जिसमें से करीब 27 फीसद महिलाएं नौकरी और बिजनेस में लगी हैं ।

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष  2004-05 से 2011-12 के मध्य विभिन्न कारणों से 1.97 करोड़ महिलाओं ने नौकरी छोड़ दी थीजबकि महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुकी हैं, फिर भी कई महिलाओं को वास्तव में कार्यस्थल पर मिलने वाले अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है । महिलाओं को मिलने वाले अपने कानूनी अधिकारों के बारे में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे हैं ।


समान पारिश्रमिक प्राप्त करनें का अधिकार
हमारे देश में संविधान के अनुसार महिला और पुरुष दोनों को  सामान अधिकार प्राप्त है  ,और समान वेतन अधिनियम के अनुसार, लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता । इसका उल्लंघन करने वाले कंपनी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना और तीन महीने से लेकर दो साल तक की जेल की सजा का प्राविधान है । मॉन्सटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों को 345.80 रुपए औसत वेतन मिलता है, वहीं महिलाओं को  259.8 रुपए औसत वेतन मिलता है ।


यौन उत्पीड़न से बचाने का नियम
राष्ट्रीय बार एसोसिएशन के एक सर्वे से प्राप्त जानकारी के अनुसार ,लगभग 38 फीसद महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है ,जबकि काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत करने का पूरा अधिकार है । वर्ष  2013 में संसद ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम पारित किया ,जिसके अंतर्गत  जिस कार्यालय में 10 या अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं, वहां महिलाओं की शिकायतों को दूर करने के लिए एक आंतरिक शिकायत समिति बनानी होती है , ऐसा न करने पर  50,000 रुपए जुर्माना लगाये  जाने का प्राविधान है ।

वहीं, अपराध के दोहराए जाने पर उद्यम को रद्द कर दिया जा सकता है और व्यवसाय लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है । यह भी बताते चलें कि यौन उत्पीड़न को भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए के अंतर्गत आपराधिक अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है ।


कार्य से सम्बंधित महिला के अधिकार
1.किसी कार्यालय में महिला कर्मचारी को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कार्य करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता |

2.यदि शाम के 6 बजे के बाद महिला कार्यालय में नहीं रुकना चाहती है तो उसे रुकने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता |

3.कार्यालय में महिला कर्मचारी के साथ किसी प्रकार के होने वाले उत्पीड़न के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने का  पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं |

4.समान कार्य हेतु महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन पाने का अधिकार है |

5.डिलीवरी के बाद महिलाओं को तीन माह की वैतनिक मेटर्निटीलीव दी जाती है, और  महिला चाहें तो तीन माह तक अवैतनिक मेटर्निटी लीव ले सकती हैं |

6.यदि पत्नी अपने पति के साथ नहीं रहती है ,तो उसका दाम्पत्य अधिकार समाप्त नहीं होता |

7.हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अंतर्गत , विधवा अपने मृत पति की संपत्ति में अपने हिस्से की पूर्ण अधिकारी है और पुनः विवाह कर लेने के पश्चात उसका यह अधिकार बना रहता है |


ट्रांसफर नहीं लेने पर नौकरी से नहीं निकाला जा सकता
इंडियन कॉन्ट्रेक्ट एक्ट 1872 के द्वारा कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान की गई है ,जिसके अंतर्गत स्थानान्तरण का मामला सम्मिलित किया गया है , यदि आपने दूसरे स्थान पर एक नई पोस्टिंग लेने से इंकार कर दिया है, तो इस आधार पर आपको निकाला नहीं जा सकता ।

इंडियन कॉन्ट्रेक्ट एक्ट 1872 के अंतर्गत  किसी नए स्थान पर दी जा रही नियुक्ति की स्थिति आपके वर्तमान स्थिति से समतुल्य या बेहतर होनी चाहिए ,यदि ऐसा नहीं है तो, कर्मचारी किसी भी जिला अदालत में स्थानांतरण आदेश को चुनौती दे सकता है ।


पिता की संपत्ति पर अधिकार
भारत का कानून किसी महिला को अपने पिता की पुश्तैनी संपति में पूरा अधिकार दिया गया है , यदि पिता ने स्वयं  जमा की संपति की कोई वसीयत नहीं की है, तब उनकी मौत के बाद संपत्ति में लड़की को भी उसके भाइयों और मां जितना ही हिस्सा लेने का अधिकार है ,और शादी के बाद भी यह अधिकार सुरक्षित रहेगा |

आरोपी होने पर मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार
यदि किसी महिला को किसी केस में आरोपी बनाया गया है, तो महिलाओं की सहायता के लिए निशुल्क सहायता प्राप्त करने का अधिकार है |  वह अदालत से सरकारी खर्चे पर वकील करने का अनुरोध कर सकती है | यह अधिकार गरीब ही नहीं बल्कि किसी भी आर्थिक स्थिति वाली महिला के लिए है | पुलिस महिला की गिरफ्तारी के बाद कानूनी सहायता समिति से संपर्क करती है, जो कि महिला को मुफ्त कानूनी सलाह देने की व्यवस्था करती है |


मित्रों,यहाँ हमनें आपको संविधान द्वारा प्रदत्त महिला अधिकारों के बारें में बताया | यदि इससे सम्बंधित आपके मन में कोई प्रश्न आ रहा है तो कमेंट बाक्स के माध्यम से व्यक्त कर सकते है | हमें आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया का इंतजार है |

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