भारत में कागजी नोट मध्य प्रदेश के देवास, महाराष्ट्र के नासिक, कर्नाटक के मैसूर औऱ पश्चिम बंगाल के सल्बोनी स्थित प्रिटिंग प्रेस में छपता है ,जबकि सिक्कों के रूप में मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा स्थित टकसाल में ढाला जाता है | यह नोट छापने का निर्णय सरकार और रिजर्व बैंक दोनों मिलकर करते हैं ,अधिकांश लोगो के मन में यह प्रश्न आता है कि ,जब सरकार नोट स्वयं छाप सकती है ,तो विश्व बैंक या अन्य देशों से ऋण क्यों लेती है ? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहें है |
किस कारण कोई देश अधिक नोट नहीं छापता
कोई भी देश मंदी के समय अधिक नोटों की छपाई करते हैं ,लेकिन स्थिती अति गंभीर होने पर ही ऐसा किया जाता है , परन्तु ऐसा करना भी देश की आर्थिक स्थिति के लिए घातक सिद्द हो सकता है ,क्योंकि मात्रा से अधिक चलन की छपाई करने से देश में तीव्र गति से महंगाई बढ़ जाएगी |
अधिक नोट छापने से मंहगाई में वृद्धि
किसी देश में अधिक नोट छापने से उस देश की अर्थव्यवस्था का संतुलन अस्त –व्यस्त हो जायेगा और मंहगाई तीव्र गति से बढ़ जाएगी |
अधिक नोट छापने से मंहगाई में वृद्धि कैसे
यदि सरकार आवश्यकता के अनुसार नोट छाप लेती है ,तो मंहगाई बाद जाएगी ,जैसे – एक पानी की बोतल की कीमत 100 रु० है ,औए एक स्थान पर यह बोतल मात्र 5 है ,और खरीदने वाले व्यक्ति 10 है | अधिक पैसे होने के कारण लोग अधिक पैसे देकर वह बोतल प्राप्त करना चाहेंगे | इस प्रकार बोतल बेचनें वाले व्यक्ति द्वारा पुनः बोतल विक्रय करने पर और अधिक मूल्य प्राप्त करना चाहेगा ,जिससे मंहगाई बढती जाएगी |
नोटों को छापकर राष्ट्रीय ऋण से मुक्ति
सरकार अपने बांड्स प्राइवेट सेक्टर को बेच कर पैसा लेती है ,और इन बांड्स को लेने पर आयकर में छूट प्रदान की जाती है ,क्योकि बॉन्ड्स में निवेश एक प्रकार की बचत होती है ,तथा लोग सरकारी बॉन्ड्स को सुरक्षित मानकर अधिक निवेश करते है | यदि सरकार राष्ट्रीय ऋण चुकाने हेतु अधिक नोट छापती है तो महंगाई में वृद्धि होगी और महंगाई बढ़ने से बॉन्ड्स की कीमत गिरेगी ,इस स्थिति में सरकार के लिए बॉन्ड्स बेच कर कर्ज लेना और भी कठिन हो जाएगा ।
मित्रों,यहाँ हमनें आपको नोटों को अधिक संख्या में छापने से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारें में बताया | यदि इससे सम्बंधित आपके मन में कोई प्रश्न आ रहा है ,तो कमेंट बाक्स के माध्यम से व्यक्त कर सकते है | हमें आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया का इंतजार है |
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