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Mar 7, 2018

अगर UP से किया है MBBS-MS तो दो साल सरकारी नौकरी करनी ही पड़ेगी, नही तो लगेगा जुर्माना


अगर UP से किया है MBBS-MS तो दो साल सरकारी नौकरी करनी ही पड़ेगी
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा को सुचारू रूप से बेहतर बनानें के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है, सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई पूरी करनें वाले छात्रों के लिए दो साल तक सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज करना अनिवार्य कर दिया गया है, इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है, इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहें है |


दो वर्ष की चिकित्सीय सेवा अनिवार्य 
प्रदेश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज या विश्वविद्यालय से  एमबीबीएस, बीडीएस, एमडी व एमएस, किसी स्नातकोत्तर व पीजी डिप्लोमा कोर्स और सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में प्रवेश लेने वाले छात्रों से सरकार दो साल का बांड भरवाएगी|

बांड के अनुसार, छात्र संबंधित कोर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह  शासकीय सेवक के रूप में दो वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में सीएचसी तथा पीएचसी में अपनी सेवा अनिवार्य रूप से देनी होगी । वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस या एमएस करने वाले छात्रों के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है|

जिसके कारण डॉक्टरों की कमी रहती है । सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के 18,400 पद हैं जिनमें से लगभग  7,400 पद रिक्त हैं ।


बांड तोड़ने पर 20 लाख से 1 करोड़ तक जुर्माना
किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने से पूर्व में भरवाए जाने वाले दो वर्ष के बांड का उल्लंघन करने पर छात्रों से भारी जुर्माना लिए जाने का प्रावधान बनाया गया है, चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के अनुसार,  एमबीबीएस व बीडीएस सहित स्नातक कोर्स के लिए 20 लाख, पीजी डिप्लोमा कोर्स केलिए 30 लाख, पीजी डिग्री कोर्स के लिए 40 लाख और सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के छात्रों को बांड का उल्लंघन करनें पर 1 करोड़ रुपये देने होंगे ।

अब तक की व्यवस्था में यह शर्त सिर्फ एमबीबीएस डिग्रीधारी डॉक्टरों के लिए थी, जो सरकारी सेवा में चयनित होने के बाद एमडी या एमएस करना चाहते थे, इन डॉक्टरों को सरकारी खर्च पर स्नातकोत्तर कोर्स कराया जाता है, इसलिए सरकार उनसे एक साल का बांड भरवाती थी, इसमें यह शर्त थी, कि वह एमडी या एमएस करने के बाद एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में अनिवार्य रूप से अपनी सेवाएं देंगे, जिसे सरकार ने इस व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया है ।


यहाँ आपको सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई पूरी करनें वाले छात्रों के लिए दो वर्ष तक सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज करनें के बारें में बताया | यदि इससे सम्बंधित आपके मन में कोई प्रश्न आ रहा है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से व्यक्त कर सकते है | हमें आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया का इंतजार है |

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