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Apr 5, 2016

क्या है देश के राष्ट्पति के अधिकार - जानिये


क्या है देश के राष्ट्पति के अधिकार - जानिये
मित्रों, देश का राष्ट्रपति देश के संवैधानिक मुखिया के रूप में होता है ।
संविधान में देश के इस सर्वोच्च पद को कई शक्तियां और अधिकार दिए गए हैं । जिसके आधार पर राष्ट्रपति संविधान के नियमानुसार कोई भी निर्णय लेने का अधिकार रखता है | राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक, तीनों सेनाओं का अध्यक्ष (सुप्रीम कमांडर) | भारतीय संघ की कार्यपालिका के प्रधान को राष्ट्रपति कहा जाता है |

देश का शासन चलाने के लिए राष्ट्रपति के द्वारा मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता है, जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति के द्वारा नियक्त किया जाता है | आमतौर पर लोकसभा में बहुमत वाले दल या गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री बनाया जाता है। इस प्रकार आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से हमारे देश में राष्ट्रपति को क्या अधिकार दिए गए है इस बारें में बताने जा रहे है | जिससे आपको राष्ट्रपति के अधिकारों को जानने में मदद प्राप्त होगी | राष्ट्रपति के अधिकार कुछ इस प्रकार है |


देश के राष्ट्पति के अधिकार-

कार्यपालिका सम्बन्धी अधिकार-

अनु. 53 के अंतर्गत - संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है |

अनु. 77 के अंतर्गत –राष्ट्रपति के नाम से भारत सरकार के समस्त कार्य किये जाते हैं |

देश के सभी उच्चाधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है – प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्री, उच्चत्तम व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के राज्यपाल, भारत के महान्यायवादी, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्य व अन्य वैधानिक आयोगों के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति व विमुक्ति के अधिकार राष्ट्रपति को प्रदान किये गए है |


सैनिक सम्बन्धी अधिकार-
देश के प्रतिरक्षा बलों का सर्वोच्च सेनापति राष्ट्रपति ही होता है | राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह से युद्ध घोषित करने व शांति स्थापित करने के अधिकार प्रदान किये गए है |

कूटनीतिक सम्बन्धी अधिकार-
राष्ट्रपति के नाम पर ही अंतरराष्ट्रीय संधियाँ व समझौते किये जाते हैं | अंतरराष्ट्रीय मंचों व मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाता है | राष्ट्रपति विदेशों में भारतीय उच्चायुक्तों व राजदूतों की नियुक्ति करता है तथा विदेशों के प्रतिनिधियों के नियुक्ति प्रमाण पत्र स्वीकार भी राष्ट्रपति के द्वारा ही किया जाता है |


विधायी सम्बन्धी अधिकार-

संसद के सत्र को आहूत करनाऔर सत्रावसान राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है |

लोकसभा का विघटन करता है |

वह लोकसभा के प्रत्येक साधारण निर्वाचन के बाद प्रथम सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को सम्बोधित करता है जिसमें वह सरकार की सामान्य नीतियों और भावी कार्यक्रम का विवरण प्रदान करता है |

धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयकों की स्वीकृत राष्ट्रपति कर सकता है, अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है या अपने सुझाव के साथ पुनर्विचारार्थ लौटा सकने के अधिकार राष्ट्रपति के पास होते है |

संसद द्वारा पुनः पारित विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी अनुमति देने के लिए बाध्य होता है |

अनु. १०८ के अंतर्गत - किसी विधेयक पर (धन विधेयक के अतिरिक्त) दोनों सदनों में असहमति हो तो संयुक्त बैठक बुलाता है तथा इसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है |

दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के पश्चात ही अधिनियम बनता है, लेकिन धन विधेयक पर अपनी स्वीकृति देने से इंकार नहीं कर सकता है | अन्य साधारण विधेयकों को एक बार पर पुनर्विचार के लिए लौटा सक्ने का अधिकार होता है |

राज्यसभा में  12 तथा लोकसभा में 2 (एंग्लो-इण्डियन समुदाय) , कुल 14 व्यक्तियों को मनोनित राष्ट्रपति करता है |


अध्यादेश जारी करने का अधिकार-

यह एक प्रकार का संसदीय विधान है | यह तभी जारी किया जा सकता है जब संसद का सत्र चालू न हो |

राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करने के अधिकार का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है |

किसी अध्यादेश द्वारा मूल अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है |

अध्यादेश कार्यपालिका को आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने की शक्ति प्रदान करता है |

राष्ट्रपति नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग वित्त आयोग व अन्य आयोगों आदि की रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है |


वित्तीय अधिकार-

राज्यों की सीमा परिवर्तन तथा धन विधेयक में वर्णित विषय से सम्बंधित विधेयक को संसद में प्रस्तुत करने से पूर्व राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है |

राष्ट्रपति वार्षिक वित्तीय विवरण (केन्द्रीय बजट) को संसद के समक्ष रखवाता है |

अनुदान की कोई भी माँग राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना नहीं हो सकती है |

राष्ट्रपति आकस्मिक निधि से, किसी आकस्मिक व्यय हेतु संसद की अनुमति के पूर्व ही अग्रिम भुगतान की व्यवस्था करने का अधिकार रखता है |

राष्ट्रपति राज्य व केंद्र के मध्य राजस्व के बंटवारे हेतु प्रत्येक 5 वर्ष में एक वित्त आयोग का गठन करता है |


न्यायिक अधिकार-

राष्ट्रपति  उच्चतम व उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के अधिकार केवल राष्ट्रपति को ही प्राप्त होते है |

क्षमादान की शक्ति (अनु. 72) के अंतर्गत वह किसी दोषी व्यक्ति के दंड को क्षमा कर सकता है, निलंबित तथा कम कर सकता है तथा मृत्यु दंड को भी क्षमा करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त होता है |

राष्ट्रपति को सेना न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड के मामले में भी क्षमादान करने का अधिकार प्राप्त है, जबकि राज्यपाल सेना न्यायालय द्वारा दिए गए दंड व मृत्युदंड को क्षमा अथवा कम नहीं कर सकता है |


आपातकालीन अधिकार-

अनु. 352 के अंतर्गत – युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल लागू करने की घोषणा राष्ट्रपति करता है |
अनु. 356 के अंतर्गत  – राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर आपातकाल या राष्ट्रपति शासन लागू करने की घोषणा राष्ट्रपति करता है |

वित्तीय संकट अनु. 360 के अंतर्गत- राष्ट्रीय वित्तीय संकट के समय राष्ट्रपति संघ और राज्य सरकारों के अधिकारी, जिनमें सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी शामिल होंगे, जिनके वेतनों में आवश्यक कमी  राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है तथा इसके अतिरिक्त संसद द्वारा ऐसी आपातकाल की घोषणा का 2 माह में अनुमोदन करना अनिवार्य होता है |


दोस्तों, उपरोक्त दी गई जानकारी  के माध्यम से अब आपको देश के राष्ट्पति के अधिकारों के बारें में जानकारी प्राप्त करने में जरूर मदद प्राप्त होगी | यदि आपके मन में करियर से रिलेटेड कोई मन में विचार या प्रश्न उठ रहा है तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने विचारों जरूर व्यक्त करें | आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया की हमें प्रतीक्षा है |

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