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Mar 9, 2018

बीएड कोर्स अब 2 की जगह पूरे 4 साल का होने की कवायद - आप भी जाने पूरी बात

बीएड कोर्स अब 2 की जगह पूरे 4 साल का होने की कवायद
बीएड कोर्स पैटर्न में एक बार फिर से बदलाव होने की संभावना है, दो वर्ष के पाठ्यक्रम को परिवर्तित कर चार वर्ष का कर दिया जायेगा, हालांकि यह  चार वर्ष का इंटीग्रेटेड कोर्स होगा, ऐसे में छात्र इंटरमीडिएट करनें के बाद इसमें सीधे प्रवेश ले सकेंगे । 

हाल ही में प्राप्त जानकारी के अनुसार, नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन को इस सम्बन्ध में प्रस्ताव भेजा गया है, अगर इस पर सहमति हो जाती है, तो इस वर्ष प्रदेश के कॉलेजों में दो वर्ष का यह अंतिम बीएड प्रोग्राम होगा, इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बात रहें है |


दो वर्ष का पाठ्यक्रम होगा समाप्त
नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन से सहमति प्राप्त होने के पश्चात, दो वर्ष के पाठ्यक्रम को बंद कर दिया जाएगा । बीएड राज्य प्रवेश परीक्षा के स्टेट को-आर्डिनेटर प्रोफेसर एनके खरे ने बताया, कि संभवत: यह अंतिम दो साल का बीएड हो सकता है,अगर चार साल का बीएड शुरू हो जाएगा, तो इसे बंद करने की पूरी संभावना है, क्योंकि एक साथ दो बीएड प्रोग्राम नहीं संचालित किए जाएंगे ।


इस वर्ष आवेदन की संख्या में कमी
इस बार बीएड के लिए आवेदन लगभग 29 हजार के आसपास आए हैं,  इस बार अभी तक बीएड 2018-20 पाठ्यक्रम को लेकर अभी से आशंकाओं का दौर शुरू हो गया है, जबकि संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड -2018 के लिए आवेदन की अन्तिम तिथि 15 मार्च निर्धारित  है, प्रदेश के बीएड कॉलेजों में प्रवेश  के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड-2018 का आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है, अभी तक 29 हजार अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने की जानकारी सामने आई है, जबकि पंजीकरण की संख्या लगभग  50 हजार हैं ।


पिछले वर्ष आवेदन संख्या थी अधिक
लखनऊ विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष भी इस प्रवेश परीक्षा को आयोजित कराया था, उस समय 1.96 लाख सीट के लिए लगभग  4.16 लाख छात्रों नें आवेदन किया था, इस स्थिति के बाद भी कई निजी कॉलेजों के लिए सीट भरना मुश्किल हो गया था, परन्तु वर्तमान  स्थिति को देखते हुए  चिंताएं और भी बढ़ा दी हैं, बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए आवेदन की अन्तिम तिथि 15 मार्च और आवेदन शुल्क जमा करनें की अंतिम तिथि 16 मई निर्धारित की गई है ।


दो वर्ष के बीएड से कम हुई छात्रों की रूचि
दो वर्ष की समय सीमा बढ़ने पर छात्रों की संख्या में कमी का कारण माना जा रहा है, जबकि जानकारों के अनुसार,  इस पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं को सिर्फ पढ़ाने का तरीका सिखाया जाता है, और  इसके लिए एक वर्ष का समय उपयुक्त है | बीएड कोऑर्डिनेटर प्रो. नवीन खरे का कहना है, कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस बार कई सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं, उम्मीद है, कि अब इस क्षेत्र में अच्छे अभ्यर्थी मिलेंगे |

यहाँ आपको हमनें बीएड के दो वर्ष के पाठ्यक्रम को परिवर्तित कर चार वर्ष में परिवर्तित होने के बारें में बताया | यदि इससे सम्बंधित आपके मन में कोई प्रश्न आ रहा है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से व्यक्त कर सकते है | हमें आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया का इंतजार है |

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