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Mar 30, 2018

हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 29 हजार कांस्टेबल भर्ती पर लगी रोक को हटाया गया - पढ़े पूरी न्यूज़


हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 29 हजार कांस्टेबल भर्ती पर लगी रोक को हटाया गया
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2015 में लगभग 30 हजार कॉन्स्टेबल पदों की भर्ती होने के पश्चात परिणाम पर लगी रोक हटा दी  है, कोर्ट ने कहा कि, बिना लिखित परीक्षा के मेरिट के आधार पर भर्ती करने में कोई अवैधानिकता नहीं है, वर्ष  2015 की भर्ती में चयन की प्रक्रिया के अंतर्गत, सरकार द्वारा 28 हजार 916  सिपाहियों की भर्ती पूरी कर ली गई थी, परन्तु  भर्ती परिणाम पर रोक लगनें के कारण, अभ्यर्थियों को  विभाग में सम्मिलित नहीं किया जा सका था, इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहें है |


कांस्टेबल भर्ती पर लगी रोक हटाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट नें 2015 की पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती पर लगी रोक हटा दिया है, यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ द्वारा  रणविजय सिंह व अन्य की कई याचिकाओं पर दिया है, याचिकाओं के अनुसार, प्रदेश में 2008 से पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर की जा रही है,  पहले प्रारंभिक फिर मुख्य लिखित परीक्षा कराये जाने का प्राविधान था, जिसे  2015 में बदलकर लिखित परीक्षा को समाप्त कर दिया गया और मेरिट के आधार पर चयन करने का निर्णय लिया गया, और यह भी निर्णय लिया गया था, कि दसवीं व 12वीं के अंकों के गुणांक के मेरिट के आधार पर चयन के पश्चात शारीरिक दक्षता परीक्षा कराई जाएगी ।


सरकारी निर्णय को दी गई थी चुनौती 
प्राप्त जानकारी के अनुसार,  हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं में प्रदेश सरकार के पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा वर्ष 2015 में विज्ञापन जारी कर लगभग 30 हजार कॉन्स्टेबल भर्ती को बिना लिखित परीक्षा के भर्ती करने के सरकारी निर्णय को चुनौती दी गयी थी, जिसमें  याचिका कर्ताओं  की ओर से तर्क दिया गया था, कि प्रदेश में 2018 से कॉन्स्टेबल भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर करायी जा रही है, 2013 की 35500 कॉन्स्टेबल भर्ती भी लिखित परीक्षा के आधार पर करायी गयी थी, 2015 में अचानक नियम बदलकर लिखित परीक्षा समाप्त कर दी गयी और मेरिट पर चयन का निर्णय लिया गया, ऐसे में मेरिट पर अभ्यर्थियों का चयन करना गैरकानूनी और अवैधानिक था, जबकि शारीरिक दक्षता में कोई निर्णय नहीं लिया गया है |



लिखित परीक्षा प्रक्रिया में लगता है, अधिक समय
प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा, कि पुरानी प्रक्रिया में चयन में दो से तीन वर्ष का समय लग जाता है, सरकार ने सिर्फ लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त किया है, शारीरिक दक्षता के मानकों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है । सरकार को तत्काल सिपाहियों की आवश्यकता है, प्रक्रिया लंबी करने से हानि होने की संभावना अधिक है | वर्ष  2017 की सिपाही भर्ती में फिर से लिखित परीक्षा का प्रावधान कर दिया गया है, ऐसा सिर्फ अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट करने के लिए किया गया है, हाईकोर्ट ने कहा कि बिना लिखित परीक्षा के सिपाहियों की भर्ती करने में कोई अवैधानिकता नहीं है ।


12 दिसंबर 2015 को जारी विज्ञापन में पुलिस और पीएसी में 28916 पुरुष आरक्षियों तथा पुलिस में 5800 महिला आरक्षियों की भर्ती की जानी थी, इसके लिए पुलिस विभाग ने 2008 की नियमावली के नियम 15 में संशोधन कर लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त कर दिया, इसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी, इलाहाबाद हाईकोर्ट नें इसमें लगी रोक को हटा लिया है |


यहाँ आपको हमनें हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 29 हजार कांस्टेबल भर्ती पर लगी रोक को हटाये जानें के बारें में बताया | यदि इससे सम्बंधित आपके मन में कोई प्रश्न आ रहा है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से व्यक्त कर सकते है | हमें आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया का इंतजार है |

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