शिक्षा,
करियर
और रोजगार ,यह एक-दूसरे से सम्बंधित हैं ,इसलिए छात्रों का रुझान हायर एजुकेशन के
प्रति अधिक आकर्षित हो रहा है । छात्र 12वीं क्लास करने
के बाद अपने करियर की दिशा का चयन कर लेते हैं । जो छात्र करियर के रास्ते पर
शीघ्र सफलता प्राप्त कर लेते है ,वह अपनी शिक्षा पूरी करने हेतु डिस्टेंस एजुकेशन
को अपना माध्यम बनाते है ,जबकि वर्तमान में डिस्टेंस एजुकेशन का स्तर निरंतर गिरता
जा रहा है |
शिक्षा
के इस गिरते स्तर को देखते हुए यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा
नियमों को सख्त करनें का निर्णय लिया है , पूर्व के नियमों में किस प्रकार परिवर्तन
होंगे ? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहें है |
सभी शिक्षण संस्थानों को डिस्टेंस लर्निंग कोर्स की मान्यता नहीं
मिलेगी
डिस्टेंस
एजुकेशन के माध्यम से अनेक शिक्षण संस्थान शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान ना देकर
इसका प्रयोग सिर्फ पैसे कमाने के लिए कर रहे है, जिसे देखते हुए सरकार द्वारा नए नियम जल्द
लागू किये जा रहे है | इन नए नियमो के अनुसार, जिन शिक्षण संस्थानों को नैक से
बेहतर रैंकिंग प्राप्त होगी, उन्हें डिस्टेंस एजुकेशन की मान्यता प्रदान की जाएगी,
जिन शिक्षण संस्थानों के पास रैकिंग नहीं है, उन्हें रैकिंग हेतु एक वर्ष का समय
दिया जायेगा, यदि वह दिए गए समय के अनुसार अपनी रैकिंग बनानें में असमर्थ हुए ,तो
उन्हें डिस्टेंस कोर्स करने की मान्यता नहीं प्रदान की जाएगी |
निरंतर कम होता जा रहा गुणवत्ता स्तर
हमारे
देश में अनेक शिक्षण संस्थानों द्वारा डिस्टेंस एजुकेशन कोर्स कराये जाते है
,जिसके अंतर्गत छात्र ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा में ऐक्रेडिटेशन की
आवश्यकता होती है ,परन्तु नए नियम लागू होने के पश्चात नेशनल असेसमेंट एंड
ऐक्रेडिटेशन से 3.5 रेटिंग प्राप्त करनी होगी | इस रैंकिंग को प्राप्त ना करने
वाले शिक्षण संस्थान डिस्टेंस एजुकेशन देने हेतु अमान्य कर दिए जायेंगे |
पूर्व में हो चुका है –विवाद
डिस्टेंस
एजुकेशन का विवाद सुप्रीमकोर्ट तक पहुच चूका है ,यह विवाद तकनीकी शिक्षा को लेकर
हुआ था | सुप्रीमकोर्ट ने इस विवाद से सम्बंधित चार शिक्षण संस्थानों द्वारा
तकनीकी शिक्षा की प्रदान की गई डिग्रीयों को अमान्य घोषित कर दिया था, इसके
अतिरिक्त डीम्ड यूनिवर्सिटी और डिस्टेंस एजुकेशन हेतु नए नियम बनानें हेतु एक
समिति गठित हुई थी ,जिसे अपनी रिपोर्ट चार माह में प्रेषित करनी है |
डिस्टेंस एजुकेशन में दी गई थी छूट
अंडरग्रेजुएट
और पोस्टग्रेजुएट कोर्स ,डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से करने वाले छात्रों को वर्ष
2016 में छूट देने का प्राविधान बनाया था ,जिसके अंतर्गत पाठ्यक्रम का लगभग 20
प्रतिशत कोर्स मैसिव ओपन ऑनलाइन लर्निंग कोर्स के माध्यम से करने की छूट थी |
छात्रों की
संख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि
आल
इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन के अनुसार ,वर्ष 2016-17 में डिस्टेंस एजुकेशन में
छात्रों की संख्या लगभग 41 लाख थी ,जबकि वर्ष 2011-12 में यह संख्या 34 लाख थी ,और
यूजी स्तर पर यह संख्या लगभग 2 लाख 13 हजार थी |
डिस्टेंस एजुकेशन में एनरोलमेंट
पाठ्यक्रम
|
2011-12
|
2016-17
|
अंडरग्रेजुएट
|
21,33,053
|
26,56,625
|
पोस्टग्रेजुएट
|
1015526
|
11,98,448
|
पीजी डिप्लोमा
|
74,557
|
77,782
|
मित्रों,
यहाँ हमनें आपको डिस्टेंस एजुकेशन के नियमों में होने वाले परिवर्तनों के बारें
में बताया | यदि इससे सम्बंधित आपके मन में कोई प्रश्न आ रहा है , तो कमेंट बाक्स
के माध्यम से व्यक्त कर सकते है | हमें आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया का इंतजार
है |
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ही रोचक न्यूज़ को जानने के लिए हमारें sarkarinaukricareer.in पोर्टल
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